जो बच्चा मुर्दा पैदा हो उस की नमाज़ ए जनाज़ा नहीं पढ़ी जाएगी
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम मसला ज़ेल के बारे में कि अगर बच्चा मुर्दा पैदा हुआ तो क्या उस की नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ी जाएगी या नहीं और उसके गुस्ल व कफन का क्या हुकुम है बाहवाला जवाब इनायत फरमाएं ?
साईल : मोहम्मद अकरम रज़ा (राजोरी)
रज़वी इफ्ता ग्रुप
अलजवाब बीओने सुबहानहु वताला
: अगर बच्चा मुर्दा पैदा हुआ तो उसे ना गुस्ल व कफन बतरिक़ ए मसनून दिया जाएगा और ना उसकी नमाजे जनाज़ा पढ़ी जाएगी बल्कि वैसे ही उसे नहला कर एक कपड़े में लपेटकर दफन कर दिया जाएगा
जैसा कि हुजूर सदरूश्शरिया बदरूत्तरिक़ा मुफ्ती मोहम्मद अमजद अली आज़मी ब हवाला दुर्रे मुख्तार व रद्दुल मुहतार तहरीर फरमाते हैं
मुसलमान मर्द या औरत का बच्चा जिंदा पैदा हुआ यानी अक्सर हिस्सा बाहर होने के वक़्त ज़िंदा था फिर मर गया तो उसको गुस्ल व कफन देंगे और उसकी नमाज़ पढ़ेंगे वरना उसे वैसे ही नहला कर एक कपड़े मैं लपेटकर दफन कर देंगे उसके लिए गुस्ल व कफन बतरिक़ मसनून नही और नमाज़ भी उसकी नहीं पढ़ी जाएगी यहां तक कि सर जब बाहर हुआ था उस वक़्त चिंखता था मगर अक्सर हिस्सा निकलने स पेशतर मर गया तो नमाज़ ना पढ़ी जाए अक्सर की मिक़दार यह है कि सर की जानिब से हो तो सिना तक अक्सर है और पाँव की जानिब से हो तो कमर तक
(बहारे शरीयत मतबुआ दावते इस्लामी जिल्द १ हिस्सा ४ सफा ८४१)
والله و رسولہ اعلم باالصواب
अज़ क़लम मोहम्मद चाँद रज़ा ईस्माइली दलांगी दारुल उलूम गौसे आज़म मसकेडीह हज़रिबाग jharkhand.
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हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)